तिनका तिनका तूफ़ान में बिखरते चले गए
तन्हाई कि गहराइयों में उतरते चले गए
उड़ते थे जिन दोस्तो के सहारे आसमानों में हम
१-१ करके हम सब बिछड़ते चले गए
मंजिलें भी उसकी थी
रास्ता भी उसका था
एक में अकेला था
काफिला भी उसका था
साथ-साथ चलने कि सोच भी उसकी थी
फिर रास्ता बदलने का फैसला भी उसका था
आज क्यों अकेला हूँ में ?
दिल सवाल करता है यह ....
लोग तो उसके थे , क्या खुदा भी उसका था !
सफ़र में धुप तो होगी जो चल सको तो चलो,
सभी हैं भीड़ में तुम भी आगे निकल सको तो चलो.
राहें कहां किसी के लिए बदलती हैं,
तुम अपने आप को अगर बदल सको तो चलो...
क्यों कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता
कोई सह लेता है कोई कह लेता है
क्योंकि ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता
आज अपनो ने ही सिखा दिया हमें
यहाँ हर ठोकर देने वाला पत्थर नही होता
तन्हाई कि गहराइयों में उतरते चले गए
उड़ते थे जिन दोस्तो के सहारे आसमानों में हम
१-१ करके हम सब बिछड़ते चले गए
मंजिलें भी उसकी थी
रास्ता भी उसका था
एक में अकेला था
काफिला भी उसका था
साथ-साथ चलने कि सोच भी उसकी थी
फिर रास्ता बदलने का फैसला भी उसका था
आज क्यों अकेला हूँ में ?
दिल सवाल करता है यह ....
लोग तो उसके थे , क्या खुदा भी उसका था !
सफ़र में धुप तो होगी जो चल सको तो चलो,
सभी हैं भीड़ में तुम भी आगे निकल सको तो चलो.
राहें कहां किसी के लिए बदलती हैं,
तुम अपने आप को अगर बदल सको तो चलो...
क्यों कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता
सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता
कोई सह लेता है कोई कह लेता है
क्योंकि ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता
आज अपनो ने ही सिखा दिया हमें
यहाँ हर ठोकर देने वाला पत्थर नही होता
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