अध्यापक (मंत्री-पुत्र से) : बताओ, सूखे और बाढ़ में क्या फर्क है ?
मंत्री-पुत्र : जमीन आसमान का !
अध्यापक : वह कैसे ?
मंत्री-पुत्र : सूखे में मेरे पापा जीप से दौरा करते हैं और बाढ़ में हेलिकॉप्टर से ।
पत्नी : सुनते हो, इस बार हम अपनी शादी की वर्षगांठ कैसे मनाएं ?
पति : मेरा विचार है वर्षगांठ के दिन इस बार हम पांच मिनट का मौन रख लेंगे।
बस के गेट पर लटके हुए मुसाफिरों से कंडक्टर ने कहा : भाइयो, अंदर हो जाओ। इस तरह गेट पर लटकना आपकी जान के लिए खतरनाक है। लेकिन जब कोई भी अंदर न हुआ तो कंडक्टर गुस्से में बोला : तुम्हें तुम्हारी पत्नी की कसम अंदर हो जाओ! इतना सुनना था कि जो मुसाफिर सीटों पर बैठे थे वे भी गेट पर आकर लटक गए।
एक आलसी से मित्र ने कहा : सुना है, तुम फौज में भरती हो रहे हो ?
आलसी : अरे नहीं, मुझे तो यह भी पता नहीं कि बंदूक का मुंह किधर रखकर चलाते हैं।
मित्र : इसमें क्या है ? तुम बंदूक का मुंह किधर भी रखकर चलाओ, देश का भला ही करोगे।
संता : यार मेरे 5 साल के बेटे ने मेरी सारी कविताएं फाड़ डाली।
बंता : बधाई हो, इतनी कम उम्र में तुम्हारा बेटा साहित्य का पारखी बन गया है।
फिल्म अभिनेताओं के दो बच्चे आपस में बात कर रहे थे।
पहला : पता है, कल रात मेरे पापा मेरे लिए एक नई मम्मी लेकर आए। वो बहुत अच्छी है।
दूसरा : जानता हूं। पिछले साल वो मेरी मम्मी रह चुकी है।
सास, बहू से - बहू, तुम्हें बाहर कहीं भी जाते समय हमेशा घूंघट कर लेना चाहिए। तुम तो जवान हो, मुझे देखो मैं तो बूढ़ी होकर भी गैर मर्दों के सामने घूंघट करती हूं।
आधुनिक बहू : ठीक है सासूजी, मैं भी जब आप की उम्र की होऊंगी तो चेहरे की झुर्रियों को छुपाने के लिए घूंघट जरूर किया करूंगी।
तीन कैदी जेल में बैठकर अपने-अपने अनुभव बता रहे थे।
पहला : मैं पिछले चुनाव में एक राष्ट्रीय दल के उम्मीदवार सखाराम का जोरदार समर्थन करने के जुर्म में यहां हूं।
दूसरा : और मैं उसी सखाराम का विरोध करने के कारण जेल की हवा खा रहा हूं।
तीसरा : बहुत खूब, और सखाराम मैं खुद हूं।
राम : क्या आप ने ही कल मेरे लड़के को डूबने से बचाया था ?
श्याम : हां, मगर अब उस बारे में मेरी तारीफ करके मुझे शर्मिन्दा मत कीजिये । राम : अजी करूं क्यों नहीं ? बताइये उस लड़के की टोपी कहां है
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